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सच्ची सोलमेट

एक दिन वॉट्सएप पर एक लंबा सा मैसेज आया। जाने क्या क्या लिख रखी थी वो, अभी आधा ही पढ़ा था कि भावनाओं का तूफान उमड़ पड़ा। अक्षर धुधलाने लगे। आंखे नम होने लगीं। समाज का डर था ऑफिस में आंखे गीली कैसे करता। बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और नयनों के कपाट बंद करते हुए वापस उन्ही दिनों में चला गया।

ट्रियुंड ट्रैकिंग के समय "अब मुझसे और ना चढ़ा जाएगा मयंक। अभी कितना ऊपर और जाना है?" कम ऑन तुम कर सकती हो बस थोड़ी दूर और बोलकर मैंने हाथ बढ़ा दिया और उसे अपनी ओर खींच लिया था। सिर्फ थोड़ी ही देर में हम दोनों टॉप पर थे और वहां हमारे साथ था बर्फ से भरा मैदान सामने एक और उची बर्फ से लदी चोटियां और हम दोनों के चेहरे पर विजय मुस्कान।
ताजी हवा चेहरे को छु छू कर सिहरन जगा रही थी। प्रकृति के इस नरम स्पर्श ने मन को सहला दिया था। तापमान कम था जैसे उचाईयो पर अमूमन होता है मै इस पल को आत्मसात कर लेना चाहता था आंखे बंद कर बस इस दृश्य को दिल में भरने लगा। थोड़ी देर बाद जब आंखे खोला तो पाया कि उसके नयनयुग्म मुझ पर ही अटके हुए है। हे,, क्या हुआ तुम्हे, कहा खोई हो!!

कहां खो सकती हूं, तुम ना होते तो आज मै ना आ पाती यहां। अब वापसी कि चिंता हो रही है नीचे कैसे जाएंगे।

अरे पागल, अब यहां आ गई हो तो नज़ारे भी देख लो, जब नीचे जाना होगा तब की तब सोचेंगे। और वैसे भी नीचे हमे पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण ले जाएगा हमे बस यहां लेट जाना है😄।

हम दोनों के ठहाके गुजने लगे थे। यूं हसी हसी में हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब कब हो गए पता भी ना चला। वापस आकर हम दोनों अपनी अपनी पढ़ाई में बिज़ी रहने लगे।
कभी कभार बात हो जाती थी। एक दिन मेरा रिजल्ट आ गया और मै इंजिनियर बन गया।
ये बात उसे बताया मुझसे ज्यादे खुश थी वो।
मेरी नौकरी चलने लगी। उससे बाते भी बढ़ने लगी। 3साल बाद मेरी शादी हो गई।  सब नॉर्मल ही चल रहा था अचानक आज उसका वॉट्सएप मैसेज आया।
"तुमने कहा था गुरुत्वाकर्षण हमे वापस ले जाएगा वहीं हुआ तुम वापस आकर अपनी दुनिया में मशगूल हो गए पर तुम्हारा एक हिस्सा मेरे साथ चला आया।
तुम मेरे दोस्त से बढ़कर हो गए। पर तुम अब भी सारे दोस्तों की तरह मुझसे मिलते थे। पर तुम मेरे लिए स्पेशल हो चुके थे। शायद उस दिन जब तुमने मुझे अपने हाथो से ऊपर खिचा था तो मै भी तुम्हारी ओर खींच गई थी। पर जाने दो इन बातो को तुमने तो शादी भी कर ली। पता नहीं कैसे तुमने मुझे शादी का कार्ड भी भेज दिया। पर छोड़ो इन बातों को बहुत कोशिश के बाद मैंने सोचा है कि अब मेरा तुमसे दूर जाना ही श्रेयस्कर होगा। शायद अगर अब भी मै तुम्हारे करीब रही तो तुम्हारी और अपनी दोनो की ज़िंदगियां खराब कर दूंगी। और हां तुमसे एक अनुरोध है कि तुम कभी भी मुझसे संपर्क बनाने की कोशिश मत करना डरती हूं तुम्हारी आवाज़ मेरे निर्णय को बदल ना दे। शायद हमारा प्यारा सा रिश्ता यही तक था।"


ऐसे कैसे वो हमारी इस प्यारी सी दोस्ती का एकतरफा अंत कर सकती थी। वो जो भी करेगी उसमे सिर्फ उसका ही अधिकार होगा क्या।

हम सोलमेट थे और हमारे रिश्ते का यही हश्र होना था😥
सच बताऊं तो दिल आज भी तुम्हे बहुत याद करता है। पर यही सोचता हूं कि कभी तो तुम मेरे सच्ची दोस्ती का कद्र समझ पाओगी और खिलखिलाते हुए मेरे पास वापस आवाज दोगी अब मुझसे और ना हो पाएगा मयंक और मै तुम्हे फिर से हाथ देकर अपनी ओर खींच लूंगा।
तब तुम मेरी सच्ची सोलमेट कहलाओगी।☺️


(इस कहानी के पात्र एवं घटनाएं सभी काल्पनिक है।)




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