जिंदगी कितनी अजीब है ना, जिंदगी के किताब का अगला पन्ना ब्लैक & व्हाइट है या रंगीन कभी नहीं बताती। मैं भी छोटा सा बच्चा ही तो था मेरी भी छोटी छोटी ही सही पर ढेर सारी ख्वाइशे थी। जैसे पानी के अंदर स्कूबा डाइविंग करना,अपनी पसंद की कार सेल्फ ड्राइव करते हुए कुछ सॉफ्ट म्यूजिक सुनते हुए यू ही कही अकेले किसी अनजान जगह पर चले जाना, 182 मीटर की ऊंचाई से बंजी जंपिंग करना, घंटो हवा में पैराग्लाइडिंग करना, बाइक से लद्दाख जाना, दोस्तो के साथ यू ही कही खो जाना, किसी के प्यार में खो जाना, पूरी दुनिया चाहे जो भी सोचे पर अपनी मर्जी की जिंदगी जीना और भी छोटी छोटी ही सही पर बहुत सारी ख्वाइसे ... पर एक मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे को सपने देखने का हक कहा होता है क्युकी इन सब ख्वाइशो के लिए चाहिए पैसे और पैसे कहीं पेड़ पर तो उगते है नही। तो मैंने भी अपनी पर्सनल प्रायरिटी को रखा एक साइड में और दूसरी priority पर focus किया। और सोचा पहले important चीजे करते है , you know important चीजे like स्कूल टॉप करना done, getting a government service Oki checked and done, अब important like marriage ,चलो किया, बच्चे
इश्क़ उगते सूरज की तरह सुर्ख लाल, दोस्ती ढलते शाम का ठहराव। इश्क़ is candle light dinner, moonlit works, बाहों का सहारा etc etc.... और दोस्ती एक दनदनाती रेस जिसमे एक अगर गिरे तो दूसरा हाथ पकड़ कर उठाता तो है पर उठाने से पहले ताली बजाकर हसता भी जरूर है। ऐसा ही कुछ कहती थी वो उसके लिए दोस्ती इश्क़ से बढ़कर थी और ना चाहते हुए भी उसकी बातो को agree करता रहता था मै bcoz I'm in love with her... और ये तो पूरी दुनिया को पता है इश्क में conditions नहीं होते। हम बातें करते, चैट के लिए हमने फेसबुक, व्हाटसएप, इंस्टाग्राम कुछ भी नहीं छोड़ा, लेकिन लेकिन अब ये दिल मांगे more, और इसीलिए हमारी ख्वाइश भी बढ़ चली थी अब हम एक दूसरे से मिलने की जिद करने लगे और हमने finally एक अच्छे से रेस्त्रां में dinner का प्लान बनाया। प्लान तो बन गया पर प्लान बनने के बाद मेरा नर्वसनेस सातवें आसमान पर था। क्या पहनना है कैसे दिखना है आफ्टरऑल ये मेरा पहला एक्सपीरियंस था और मुझे इसका एबीसीडी भी नहीं आता था। फाइनल डेट के एक दिन पहले की शाम को ही मैंने सारे चेक लिस्ट मार्क कर लिए ड्रेस done, वॉच done, शूज done, शेविंग do