तो,
तुम्हारे लिए अब लिखना नहीं है मुझे ,
तुम्हारे नाम तक के साथ अब दिखना नहीं है मुझे ।
जितना आम होके मैं तुम्हें मिला था ना ..
उतना आसानी से इश्क़ में अब बिकना नहीं है मुझे ।
पर मैं मेरी दास्तान लिखूँगा ,
इस बार ख़ुद को मोहब्बत और तुम्हें अनजान लिखूँगा ।
तुम्हें सँवारते सँवारते जो हाल हुआ है ,
मैं हो जाऊँगा आबाद भी पर पहले बरबाद लिखूँगा ।
इतना इश्क़ कर दिया था तुझसे मैंने कि ख़ुद में ख़ाली हो गया था ,
इतना मोहब्बत जुनून सुकून था मुझमें कि जब तक बिछड़ा मेरा रूह तक काला हो गया था ।
इतना कैसे मार दिया तुमने किसी को मोहब्बत में ,
इतना बुरी तरह कैसे हार दिया मैंने ख़ुद को मोहब्बत में ,
ख़ुद को एक घंटे भी नहीं दिए मैंने ,
तुम्हारे लिए तुम्हें सोमवार से इतवार दिया मैंने मोहब्बत में ।
खैर जाओ तुम,
खैर जाओ अब तुम ,
जाओ तुम्हारे रुकने का वक्त अब खत्म हो गया है ,
जो खरोंच लगा लगा कर गया था कोई, तुमने ऐसे छुवा है की जख्म हो गया है ।
तुमने जाते जाते जलाया है एक एक कतरा मोहब्बत का ,
वापस आने की जरूरत नही है
यादें जला दी है मैंने ,
अब सब भस्म हो गया है ।

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