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Showing posts from March, 2020

अधूरा हमसफर..

ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक उसका जाना पहचाना सा चेहरा स्टेशन पर दिखा। वो अकेली थी। चेहरे पर कुछ परेशानी की रेखाओं के साथ थी वो। कुछ ढूंढती से लग रही थी। मेरा घर जाना जरूरी था। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था। चलती ट्रेन से कूद पड़ा गिर कर संभलते हुए उसके पास उसी के बेंच पर कुछ इंच की दूरी बना कर बैठ गया। जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते । पर उसने ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की और दूरी बना कर चुप चाप बैठी रही। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गई थी। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी वो बिल्कुल वैसी की वैसी ही थी। हां कुछ भारी हो गई थी। मगर इतना ज्यादा भी नही। फिर उसने अपने पर्स से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गई। चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। उसके सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही द

कोरोनावायरस के दुष्परिणाम

आज पंडितजी बहुते परेशान होकर दुआरे पर इधर से उधर टहल रहे थे और परेशान रहे भी क्यों न कल से नवरात्र शुरू हो रहे है पंडिताइन का आदेश है कि घर में कूछू बचा नाही है कुछु लेके ही घरे आना है। पर पंडितजी कैसे समझाए कोरोना के डर के मारे कौनो जजमान घरे से नीकरी नहीं रहे है अ जौन निकरने की हिम्मत कर रहे है अगले चौरहवे पर बलभर कुट दिए जा रहे है ऐसे में पंडितजी तक आएगा कौन। ऊपर से यह मंदी में एगो नवरात्र का सहारा था कि पूजा पाठ कर कुछू कमा लेंगे और तनी हालत सुधर जाएंगे। पर अब तो लगता है अंबा मैया ही सहारा है। खैर यह उहा पोह में पंडितजी घर में आए पंडिताइन को समझाए , अजी देखो नव दिन हम उपवास रखबे करते है आज एक दिन और बढ़ा लेते है आज केहू जजमान नहीं आ रहा है कउनो व्यवस्था नाही हो पा रहा है । कल कौनों न कऊनो जजमान पूजा करवावे खातिर दूआरे पर आइबे करेगा फलाहार की व्यवस्था कर लेंगे। पंडिताइन के पास भी कऊनो उपाय नहीं था आखिर अबहिन दुई दिन पहिले ही कुल चोरौधा पंडितजी को सुपुर्द कर दुुई दिन के भोजन की व्यवस्था की थी झख मार के आज दुनो परानी सो गए। रोज के तरह आज भी सुबह हुआ पर चैत के पहिले दिने वाला रौनक क

कोरोनावायरस एक महामारी

आज मन बहुत ही द्रवित है कोरोनावायरस सुरसा की तरह मुंह फैलाए खड़ा है और हम इसके शिकार बनते जा रहे है। पता है इसमें सबसे ज्यादा गलती हमारी ही है । हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में आज गोरखपुर समेत 15जिले लॉक डाउन कर दिए गए है। सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही अच्छा काम है यह पर लोगो को भी समझना पड़ेगा लोग अभी भी इस भयानक महामारी को हल्के में ले रहे है। आज सुबह बैंक जा रहा था रास्ते में एक पेट्रोल पंप पर लगभग 50की संख्या में लोग अपने अपने वाहनों में पेट्रोल भरवाने के लिए लाइन में एक दूसरे को पीछे करने के चक्कर में लगे थे। उनके से 75%लोगो को में जानता हूं वे लोग किसी आपातकाल के लिए नहीं सिर्फ गांव गांव निकल कर फोटो लेने और इस बंदी को त्योहार के रूप में मनाने के लिए अपने वाहनों में पेट्रोल भरवाने के लिए लाइन लगाएं थे। खैर इन सब से उबर कर मै बैंक पहुंचा। बैंक खोला और जैसे ही काउंटर पर बैठा। एक सम्माननीय ग्राहक आए उनकी उम्र भी लगभग 65साल थी। उन्हें अपने खाते को मोबाइल नंबर से लिंक करवाना था। मैंने समझाया श्रीमानजी आज कल बैंक सिर्फ जरूरतमंद लोगों के लिए खोले जा रहें है। ताकि कोई दवा या भोजन के लि