Skip to main content

कोरोनावायरस के दुष्परिणाम

आज पंडितजी बहुते परेशान होकर दुआरे पर इधर से उधर टहल रहे थे और परेशान रहे भी क्यों न कल से नवरात्र शुरू हो रहे है पंडिताइन का आदेश है कि घर में कूछू बचा नाही है कुछु लेके ही घरे आना है। पर पंडितजी कैसे समझाए कोरोना के डर के मारे कौनो जजमान घरे से नीकरी नहीं रहे है अ जौन निकरने की हिम्मत कर रहे है अगले चौरहवे पर बलभर कुट दिए जा रहे है ऐसे में पंडितजी तक आएगा कौन। ऊपर से यह मंदी में एगो नवरात्र का सहारा था कि पूजा पाठ कर कुछू कमा लेंगे और तनी हालत सुधर जाएंगे। पर अब तो लगता है अंबा मैया ही सहारा है। खैर यह उहा पोह में पंडितजी घर में आए पंडिताइन को समझाए , अजी देखो नव दिन हम उपवास रखबे करते है आज एक दिन और बढ़ा लेते है आज केहू जजमान नहीं आ रहा है कउनो व्यवस्था नाही हो पा रहा है । कल कौनों न कऊनो जजमान पूजा करवावे खातिर दूआरे पर आइबे करेगा फलाहार की व्यवस्था कर लेंगे।
पंडिताइन के पास भी कऊनो उपाय नहीं था आखिर अबहिन दुई दिन पहिले ही कुल चोरौधा पंडितजी को सुपुर्द कर दुुई दिन के भोजन की व्यवस्था की थी झख मार के आज दुनो परानी सो गए।
रोज के तरह आज भी सुबह हुआ पर चैत के पहिले दिने वाला रौनक कही दिख नहीं रहा है पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है। लगी नहीं रहा है कि आज नवरात्र शुरू हुआ है जहां पंडितजी के पूछ यह नवरात्र में बढ़ जाती थी आज सुबह से 10बज गए कोई पूछने नहीं आया। हार मान के पंडित जी आपन पोथी पत्रा उठा के चल दिए बगल के गांव में कि शायद केहू जजमान को आवश्यकता होई तो पूजा के लिए बुला लेई पर पंडितजी को चौराहवे पर पुलिस द्वारा दू डंडा धर के घर भेज दिया गया और कहा गया कि अगले 20दिन ले घर ही पर रहिएगा। पंडितजी घरे आए और बिना पंडिताइन से कूछु बताए देश के कल्याण के खातिर दुर्गा सप्तशती के पाठ करने लगे...

सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।..............

...

रोज देश के कल्याण खातिर दुर्गा जी से मनाते और दोनो परानी पानी पी के सुती जाते।
अब दोनों जनी अपने प्रधान मंत्री के बात मानी के घर से बाहर निकलना बंद कर दिए थे।

लेकिन उन्ही के गांव के कुछ लोग थे जो रोज बाहर निकर जाते थे ई देखने की बहरे का हो रहा है।
बगल के गांव में सरजू जवन बंबई में कमाए गया था 5
पांच दिन पहिले लौटी के वापस आया था। और रोज शाम के चौपाल लगा के लोगन के आपन बंबई वाला कहानी बाचता था लोग बड़े चाव से सुनते थे।
पंडितजी के भी गांव से दू चार लोग छिप के पहुंची गए कथा सुनें दू दिन बाद पता चला कि कोरोना वाली टीम सरजू के ले गई और जांच में सरजू के कोरोना पॉजिटिव नीकरा। अब सरजू के गांव त पूरा बंद कई दिया गया पर धीरे धीरे पंडित जी के गांव में भी उ दूं चार जनी से कोरोना फैल गया।
सबके जांच हुआ पंडितजी के परिवार के छोड़ी के सब जनी कोरोना के चपेट में आ गए थे लेकिन सबसे बीमार पंडित जी के ही परिवार था आखिर पिछले नव दिन से ई परिवार कुछ खाया भी तो नहीं था। और जबले डॉक्टर लोग ई समझे की पंडित जी और पंडिताइन के ई हाल भूख से हुआ है ई दोनो जनी कोरोना से नहीं भूख से तड़प के मरी गए।

कोरोनावायरस के चलते माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश को 21दिनों के लिए बंद कर दिया है सरकार यथा संभव लोगो की मदद भी कर रही है लेकिन सरकारी तंत्र का हमे पता ही है । कुछ ऐसे भी परिवार है जो इस लाभ से वंचित रह जाएंगे।
हमें पता है कि अपने देश में रोज कमा के अपने परिवार का भरण पोषण करने वालो की संख्या जादे है ऐसे में हमारा ये भी कर्तव्य बनता है कि हमारे आस पास का कोई भी परिवार कहीं भूख प्यास से दम ना तोड़ दे।

जहा तक हो सके स्वयं को बचा कर ऐसे परिवार की भी मदद करें।

अपने आस पास की मदद करते हुए हम इस भयानक महामारी के दुषपरिणामों से भी बचना होगा।

ऐसे ही लोगों की मदद के लिए बस्ती जिले में अन्नपूर्णा रसोई नाम की संस्था ने जरूरत मंद लोगो को भोजन कराने का बीड़ा उठाया है। धन्यवाद अन्नपूर्णा रसोई।

पर अभी और लोगो को भी आगे आना होगा।

रत्नेश मणि पांडेय

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मेरी कहानी का अंत

 कभी किसी को जाने दिया है? जबकि तुमने उसके साथ अपनी Best जिंदगी देख ली थी l उसके बाद तुम नॉर्मल नहीं हो पाते कभी उन यादों को हमेशा साथ लेकर चलते हो और शांत हो जाते हो काफी l खुद को खुश करने की कोशिश करते हो पर सच बताना खुश हो पाते हो कभी ? तुम जाने तो देते हो उसको पर तुममें से वो क्या जाता है कभी ? खैर छोड़ो पता नहीं तुम समझ पाओगे भी या नहीं l आज इन सब बातों का जवाब देने से पहले कुछ बातें जान तो लें l हम मिले हममें बातें हुई बातें बढ़ी और और बातें होते होते तुम्हीं ने मुझे सामने से Proposal दिया मैने Accept किया l और फिर हम बहुत सीरियस हो गए l शहर में एक साथ घूमते घूमते सारा जहां एक साथ घुमाने की बातें सोचने लगे l और तुम, तुम पागल तो कभी कभी shoping भी ऐसे कर लेती थी कि अगली बार जब हम मनाली जाएंगे तो ये वाला Top पहनूंगी l हम कभी आसमान में तारे जितनी बातें करते थे l कुछ भी मिस नहीं होता था हमारे बीच हम वाकिफ हो गए थे एक दूसरे की आदतों से l आपकी Life में बहुत लोग आते है पर वो होता है ना एक person जिसके प्रेजेंस से आपको लगता है अब बेहतर सांस आ रही है ये ही मेरा ऑक्सीजन है l same वही ...

मेरा झूठ

वो अक्सर अपनी हथेली मेरे हाथों में थामे रखती , हम हथेलियों की तस्वीरे लिया करते। हम सड़क बिना हाथ पकड़े कभी पार ही नहीं हो पाते , हम शामें अक्सर बेंच पर अग़ल बग़ल ही बैठते , कभी कभी घर से उसके लिये कुछ स्पेशल बना के डब्बा भी ले ज़ाया करता , थोड़ा स्पेशल दिखाने के लिए पैकिंग भी ढंग से करता ताकि उसे अच्छा लगे और वो ख़ुस हो जाए । कभी बाहर जाते तो healthy बोल के कभी मोमोस कभी गोलगप्पे कभी सोया चाप सब खाना होता ओह सॉरी…. इनमें से बस unhealthy वाला मुझे खाना होता और मैं बिना नख़रे के सब ख़त्म कर जाता । मक़सद मेरा बस इतना होता कि मुझे ये सब खाते हुए देख कर वो खूब ख़ुस होती । फिर एक दो ना पूरे होने वाले वादे कर देती । हम अक्सर अजीबो गरीब तस्वीरे लिया करते थे पर …. पर इन तस्वीरों में भी वो ही सुंदर दिखती क्यों की जिसमें वो सुंदर नहीं दिखती वो डिलीट हो जाती । हम शॉपिंग माल्स अक्सर वाशरूम use करने ज़ाया करते । शॉपिंग तो लोकल मार्केट से करते और वहाँ भी उसके लिए बार्गेनिंग अक्सर किया करते । कभी कभी किसी शॉपिंग माल्स के चेजिंग रूम से 4-5 कपड़े ट्राय करने के बाद मुझसे पूछती कैसे लग रही हूँ । और मैं क...

मेरी दास्तान …

 तो,  तुम्हारे लिए अब लिखना नहीं है मुझे , तुम्हारे नाम तक के साथ अब दिखना नहीं है मुझे । जितना आम होके मैं तुम्हें मिला था ना .. उतना आसानी से इश्क़ में अब बिकना नहीं है मुझे । पर मैं मेरी दास्तान लिखूँगा , इस बार ख़ुद को मोहब्बत और तुम्हें अनजान लिखूँगा । तुम्हें सँवारते सँवारते जो हाल हुआ है , मैं हो जाऊँगा आबाद भी पर पहले बरबाद लिखूँगा । इतना इश्क़ कर दिया था तुझसे मैंने कि ख़ुद में ख़ाली हो गया था , इतना मोहब्बत जुनून सुकून था मुझमें कि जब तक बिछड़ा मेरा रूह तक काला हो गया था । इतना कैसे मार दिया तुमने किसी को मोहब्बत में ,  इतना बुरी तरह कैसे हार दिया मैंने ख़ुद को मोहब्बत में , ख़ुद को एक घंटे भी नहीं दिए मैंने ,  तुम्हारे लिए तुम्हें सोमवार से इतवार दिया मैंने मोहब्बत में । खैर जाओ तुम, खैर जाओ अब तुम , जाओ तुम्हारे रुकने का वक्त अब खत्म हो गया है , जो खरोंच लगा लगा कर गया था कोई, तुमने ऐसे छुवा है की जख्म हो गया है । तुमने जाते जाते जलाया है एक एक कतरा मोहब्बत का , वापस आने की जरूरत नही है  यादें जला दी है मैंने , अब सब भस्म हो गया है ।