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एक सफ़र, हरि से हर की ओर-३


एक सफ़र, हरि से हर की ओर-३


आँख मूंदकर देख रहा है।
साथ समय के खेल रहा है।
महादेव वह महाएकाकी।
जिसके लिए जगत है झाकी।


वही शून्य है, वही इकाई।
जिसके भीतर बसा शिवायः।


हर हर महादेव, बम बम त्रिकाल।
इसी तरह महादेव की जयकार कर हम त्रिमूर्ति केदारनाथ की ट्रैक के लिए २३सितम्बर१८  को लगभग १२:००बजे गौरीकुंड से निकल पड़े।



गौरीकुंड में ही ट्रेकिंग वाले रास्ते पर छड़ी भी मिल रही थी हम त्रिमूर्तियों ने एक एक छड़ी भी साथ ले ली। अब हमे लग रहा था कि हमारे पास ट्रेकिंग से संबंधित सारे संसाधन मौजूद हो गए है। मेरे दोनों सहयात्री मणि जी और आकाश जी आराम से चले जा रहे थे पर मैंने पिछले 3दिनों में कुल मिलाकर 30-32घंटे कार ड्राइविंग की थी तो मेरे पैरो में हल्का हल्का दर्द था। पर महादेव से मिलने की प्रबल इच्छाशक्ति उस दर्द को भुला चुकी थी और मै भी अपने सहयात्रियों का साथ देते जा रहा था गनेशचट्टी तक पहुंचते पहुंचते जब मेरा 45इंच का पेट कुछ कम हुआ तो मुझे पता चला कि अपना बेल्ट तो मै कार में ही भूल आया। और इसकी वजह से पैंट अब मुसीबत खड़ी कर रही थी खैर जुगाड हर जगह मौजूद रहती है सो मैंने दिमाग लगाया और अपने जैकेट की कैप से डोरी निकाल कर कमर कस लिया और हो गया फिर से तैयार आगे की चढ़ाई पूरी करने के लिए। चीरबासा के भैरव बाबा मंदिर पहुंचते पहुंचते हमे हल्की बारिश में भी थोड़ी थोड़ी गर्मी लगने लगी अतः जैकेट निकाल कर कमर में लपेट ली गई और फिर आगे बढ़ चले।
जंगल चट्टी पहुंचने पर भूख से हमारी हालत खराब हो चुकी थी तो रुक कर कुछ पेटपूजा करने को सोचा गया और वहां एक मैगी प्वाइंट पर एक मैगी 3आलू पराठे और राजमा चावल फिर एक एक कप चाय से हम तीनों ने अपने मटके भरे। अब बारिश थोड़ी तेज हो गई थी इस वजह से मौसम में ठंडक भी बढ़ गई थी तो हमने अपने जैकेट फिर से पहन लिया और अपना कामचलाउ रेनकोट जो बस नाम का रेनकोट था ओढ़ लिया। 3:30घंटे में हम भीमबली तक की ट्रेकिंग कर चुके। अब हमें हमारी मंजिल पास लग रही थी। और हम अब केदारनाथ ट्रैक को कुछ ज्यादे ही हल्के में ले लिए हमे लगा अब तो आधी दूरी पूरी हो गई बस अब 3घंटे और ।
लेकिन यहां से मात्र 300 मीटर आगे बढ़ते ही मेरे पैरो का दर्द आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ने लगा। और मेरा दाहिने पैर ने जवाब देना शुरू कर दिया। खैर मै अपने सहयात्रियों से 100-150 मीटर के पीछे धीरे धीरे अपने पैर को घसीटते हुए छड़ी के सहारे आगे बढ़ रहा था। लेकिन मुसीबत मेरे पीछे ही पड़ी थी अब छोटी लिंचौली के पास से चढ़ाई भी लगभग खड़ी हो चली थी। मेरे मित्रों को भी लग गया कि मुझे चलने मै दिक्कत हो रही है इस वजह से उनकी चाल भी अब धीरे हो गई। पर मै भी जिद्दी हूं मैंने ठान लिया अब रास्ते में रुकूंगा नहीं चलते रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाय। धीरे धीरे  महादेव को याद करते हुए महादेव की ओर हम बढ़ते जा रहे थे। बारिश की वजह से हम तीनो लोग पूरी तरह भीग चुके थे और अब ठंडक ने हमे कमजोर समझकर हम पर बुरी तरह आक्रमण कर दिया था। हमारे हाथ की उंगलियां अब शून्य पड़ रही थी।




उंगलियों को बचाने के लिए हमने अपने जैकेट के अंदर हाथ डाल लिया और बड़ी लिचौली तक किसी तरह 6:30बजे तक पहुंच गए अब मात्र 4किमी की ट्रेक और थी और लग रहा था कि रात हो चुकी है। मेरे पैर का दर्द अब असहनीय हो चला था। पर मन में हिम्मत अभी बाकी था अतः मै चलता रहा कभी कभी अपने मित्रो से 500 मीटर पीछे हो जाता फिर वो लोग रुक कर मेरा इंतजार करते जब मै पास पहुंचता तो फिर चलना शुरू हो जाता। इसी तरह हम 8:00बजे तक रुद्रप्वाइंट पहुंच गए। बारिश की वजह से ठंड अपने चरम पर थी ठंड और दर्द से एक बार ऐसा लगा कि आज शायद ही मै बचू। पर महादेव के दर्शन की अभिलाषा थी जो मुझमें जान डाल रही थी। रुद्रपोइंट के बारे में कहा जाता है कि यह केदारनाथ कि ट्रेकिंग में सबसे ऊंचा प्वाइंट है। अब मुझे एक बात का सुकून था कि अब चढ़ाई तो नहीं चढ़नी है। पर बारिश की वजह से ठंड ने हालत खराब कर रखी थी। हमारे पास एक्स्ट्रा कपड़े भी नहीं थे और जो पहने थे वो पूरी तरह भीग चुके थे। 
आगे बढ़ते बढ़ते हम केदारनाथ बेस कैंप तक पहुंच गए। और अब हमारे सामने महादेव के लोक में हमे जिंदगी दिख रही थी।
इस समय रात के 9:00बज रहे थे और बस हम तीन यात्री बाहर दिख रहे थे।

हमारी इच्छा केदारनाथ मंदिर के आस पास पहुंचने की थी अतः हम चलते रहे। और थोड़ी ही देर में हम मंदिर की सीढ़ियों पर पहुंच गए।
चुकी रात के 9:30बज रहे थे और मंदिर के कपाट बंद हो चुके थे अतः हमने सीढ़ियों से ही महादेव को नमन किया। और पास में ही रुकने के लिए कमरे की तलाश करने लगे। पहली ही जगह में हमे एक कमरा मिल गया वो भी मात्र 300/- में जिसमे 8 बेड लगे थे और सोने वाले बस हम 3ही थे। मणि जी कमरे का मोलभाव करना चाहते थे पर मेरी नजर में यह बहुत ही सस्ता था तो मैंने हा कर दिया।
कमरे में आते समय हमने देखा था कि एक भोजनालय अभी खुला हुआ था। अतः जल्दी ही हम भोजन करने बाहर आ गए और भोजनोपरान्त जल्दी से अपने कमरे में पहुंचकर सुबह महादेव के दर्शन की आश में अपने भीगे कपड़े उतारकर 2-2 रजाई ओढ़ कर लेट गए।

क्रमशः.............................

Comments

  1. वाह बहुत कठिनाइयों का सामना किया...30 घंटे कार ड्राइव के बाद केदारनाथ ट्रैकिंग...धन्य है भोले और उनके भक्तों की...

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  2. Great one ........one day you become a successful writer😊😊😊😊😊

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