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एक सफ़र, हरि से हर की ओर - अंतिम पड़ाव

एक सफ़र, हरि से हर की ओर - अंतिम पड़ाव

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय।।

२४/०९/२०१८

शायद ठंड और उचाई की वजह से हमें कल रात नीद आई नहीं। जैसे तैसे रात बीत गई  सुबह ६:००बज गए पर बाहर का मौसम अभी भी खराब ही था। ठंड हमे बाहर निकलने नहीं दे रही थी। लेकिन हम यहां सोने तो आए नहीं थे , दृढ़ निश्चय कर की अब वापस रजाई में नहीं आएंगे हम रजाई से बाहर निकले पर ये क्या, अब समस्या पानी थी ।
हमारे कमरे मै गर्म पानी की व्यवस्था नहीं थी। और किसी के पास इतनी हिम्मत नहीं थी कि बाहर निकल कर रेस्टोरेंट से गर्म पानी ले आया जाय। मतलब आज हमे अपने दिन की शुरुआत इस ठंडे मौसम में ठंडे ठंडे पानी से ही करना था। किसी तरह हम त्रिमूर्ति नित्यकर्म से निवृत्त हुए पर नहाने की हिम्मत किसी में नहीं थी। लेकिन मैंने जय भोलेनाथ बोलते हुए इस ठंड को जीत लिया और नहा के बाहर निकला।


 अब बारी थी तो बस प्रभु से मिलन की, चल पड़े प्रभु की ओर तभी एक पंडा जी ने पकड़ा और लगे हमारा क्षेत्र और स्थान पता करने। और तो और जब हमने बताया की हम गोरखपुर से है, तो पता चला कि गोरखपुर क्षेत्रवासियों के यहां के पंडा वहीं है। खैर हमने उन्हें भी अपने साथ ले लिया और पहुंच गए नंगे पाव भोलेनाथ की शरण में बारिश अभी हो रही थी इस कारण आज भीड़ कम थी अतः हमने महादेव के दर्शन और पूजन जी भर के किया और लगभग आधे घंटे बाद हम "बाबा दुबारा फिर बुलाएंगे" ये सोच के बाहर निकल गए।


अब हमने महादेव के दर्शन कर लिए थे। अतः अब हम वापसी के मार्ग पर बढ़ चले।


केदारनाथ बेस कैंप में पहुंचकर हमने मैगी का नाश्ता भी कर लिया और एक एक कप चाय भी पी लिया। अब सुबह के ९:००बज रहे थे लेकिन मौसम अभी बेईमान ही था। बारिश और ठंडक वैसे ही थी। मेरे पैर का दर्द कम हो गया था और हम तेजी से नीचे उतरना चाह रहे थे।

आज मणि जी को नीचे उतरने में कुछ दिक्कत हो रही थी। फिर भी हम ११:००बजे बड़ी लींचौली तक पहुंच गए, फिर चलते चलते ११:४५बजे तक छोटी लिनचौली भी पार कर लिए अब नीचे का ब्रिज दिखाई देने लगा था और हम अपनी धुन में बेखबर आगे बढ़ते जा रहे थे। अचानक बादल के गरजने जैसी जोर की आवाज हुई हमारे आगे के कुछ यात्री अचानक रुक गए। और जब तक हम कुछ समझते हमारा रास्ता बड़े बड़े पत्थरों के गिरने की वजह से बंद हो चुका था। 



बारिश अब और तेज हो चुकी थी और थोड़े थोड़े समय पे पत्थर अभी भी रास्ते पर गिरते जा रहे थे। सन२०१३ वाली घटना याद कर सबके दिल धड़कने लगे थे। अभी हम १०-१२ लोग ही थे पर आगे बढ़ने की हिम्मत किसी में नहीं थी। थोड़ी ही देर में वहां पीछे वाले अन्य यात्री भी आ गए और अब इस जगह पर धीरे धीरे भीड़ बढ़ती जा रही थी। लगभग २ घंटे बाद बारिश थोड़ी कम हुई तभी अचानक आसमान हेलीकॉप्टरों की गड़गड़ाहट से भर गया। एक साथ लगभग तीन तीन हेलीकॉप्टर हमसे थोड़े ऊपर दिखाई देने लगे। हमने आते समय बड़ी लिनचौली में एक हेलीपैड देखा था तो हमे लगा कि अगर हम वहां किसी तरह पहुंच जाए तो शायद हमे हेलीकॉप्टर की सहायता मिल जाय। पर वापस फिर ३ किमी की चढ़ाई सोच कर हिम्मत हार जाते थे। एसडीआरएफ की एक टीम उस जगह को देखने जा चुकी थी और थोड़ी ही देर में वापस आके बोली कि जब तक बारिश होगी रास्ता नहीं खुल पाएगा। अब करो या मरो की स्थिति थी, अगर यहां रुके तो भी हम ठंड से मर जाएंगे तो इससे अच्छा ऊपर वापस चलते है शायद कुछ सहायता मिल जाय। हम हिम्मत कर फिर धीरे  धीरे ऊपर बढ़ने लगे। हमारे पास पीने का पानी भी नहीं था और आकाश जी की स्थिति कुछ ठीक नहीं लग रही थी शायद उनका ब्लड प्रेसर बढ़ गया था। आगे मणि जी बीच में आकाश और पीछे मै चल रहा था। अचानक आकाश जी बोले की मुझे पानी चाहिए घबडाहट हो रही है। अब क्या करें पानी तो था नहीं पर बारिश हो रही थी और कई जगह पहाड़ी से पानी रिस रहा था। मैंने वहीं पानी आकाश जी को पिलाया और थोड़ी देर आराम करने को बोला। फिर धीरे धीरे ऊपर बढ़ने लगे।किसी तरह शाम४:३०बजे तक लिनचौली जीएमवीएन के कैंप तक हम पहुंच गए। यहां पहुंच के पता चला कि हेलीकॉप्टर केदारनाथ से अपने बुकिंग वाले यात्रियों को निकाल रहे है।

खैर यहां जीएमवीएन का टेंट था तो यहां रात रुकने की व्यवस्था हो सकती थी पर लोगो की भीड़ यहां बढ़ती जा रही थी और सब लोग जल्दी से जल्दी टेंट बुक कराने में लगे थे। यहां की भीड़ देखकर हम कुछ समझ पाने की स्थिति में नहीं थे हम नीचे जा नहीं सकते थे और अब और ऊपर जाने की स्थिति हमारी थी नहीं। अब अपनी जिंदगी महादेव के हवाले कर हम वहीं बैठ गए थोड़ी ही देर बाद जीएमवीएन का एक कर्मचारी आया और बोला कि आपलोग धैर्य बनाए रखे यहां १५००से ज्यादे लोगो के रुकने की व्यवस्था है सबकी व्यवस्था हो जाएगी। ये सुनने के बाद जान में जान आई। खैर थोड़ी देर बाद २०-२० लोगो को एक एक टेंट में भेजा जाने लगा। हमे भी टेंट मिल गया। पर पता नहीं कैसे हमारे टेंट हमे मिलाकर में मात्र १० लोग ही थे। हम टेंट में घुस कर अपने आप को समेट के बैठ गए ताकि ठंड कुछ कम लगे। अब शाम६:३०बज चुके थे बारिश अभी तक हो रही थी और टेंट में बस नीचे एक चटाई बीछी थी। थोड़ी देर बाद ठंड यहां भी लगने लगी। अब क्या करें एक बार फिर जिंदगी दूर जाती दिखने लगी। फिर हिम्मत कर टेंट से बाहर निकले और स्लीपिंग बैग के बारे में पता किया पता चला कि अभी थोड़ी देर में स्लीपिंग बैग दिया जाएगा। ७:३०बजे तक जीएमवीएन का एक आदमी हमारे टेंट में आया और हमसे आई कार्ड मांग कर हमारा रजिस्ट्रेशन किया फिर ₹२५०/-व्यक्ति देने के बाद हमें एक एक स्लीपिंग बैग मिला। स्लीपिंग बैग पाकर लगा कि हमें जिंदगी एक बार फिर मिल गई हो। और हम सभी लोग अपने भीगे कपड़े पहने हुए अपने स्लीपिंग बैग में घुस गए। पर एक घंटे बाद ही पता नहीं कैसे हमारा स्लीपिंग बैग पानी से भर गया। शायद हमारा टेंट ढलान वाली जगह पर लगा था और बारिश की वजह से नीचे पानी बह कर आ रहा था।


हमारे शरीर की गर्मी थी जो हमे इसमें भी गर्म किए हुए थी। इस स्लीपिंग बैग से हमे जिंदा बचने की उम्मीद मिल गई थी। 


शायद ये रात मेरी जिंदगी की सबसे लंबी रात थी आज रात खत्म ही नहीं हो रही थी।


२५/०९/२०१८



लेकिन हर दुख का अंत जरूर होता है, और हमारे रात का भी अंत होना था। आज सुबह बड़ी सुहानी थी हम त्रिमूर्ति आज ५:३०बजे सबसे पहले अपने टेंट से बाहर निकले और केदारनाथ की हिमाच्छादित चोटियों को देखकर चिड़ियों की तरह चहक उठे। भले ही पूरी रात नींद नहीं आई पर आज हम कल से ज्यादा ऊर्जावान थे हमारे चेहरे खिल उठे थे। बारिश बंद हो चुकी थी। और हमे महादेव द्वारा नया जीवन दिया जा चुका था। 


एक बार फिर महादेव को कोटिशः धन्यवाद और प्रणाम कर हम पुनः नीचे दौड़ने लगे। रास्ते का काम अभी जारी था फिर भी हम लोगो को एसडीआरएफ की टीम की सहायता से उस पार कर दिया गया। और हम आज फिर प्रकृति के सौन्दर्य को निहारते और शिवतांडवस्तोत्र गुनगुनाते हुए वापस अपने माया लोक(नीचे) पहुंच गए।

ॐ नमः शिवाय।

Comments

  1. I am really a big fan of your Travelogue....
    Sir keep describing...😍😘😘😘🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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  2. आपने बिल्कुल ठीक कहा हर रात के बाद सुबह होती है...उस दिन landalide की वजह से आपका वापस आना...स्लीपिंग टेंट में पानी भर जाना...वाकई बहुत कुछ हुआ लेकिन महादेव के हवाले जब आप हो चुके थे तो ससब ठीक होना ही था...बढ़िया रोमांचक यात्रा...हर हर महादेव

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