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दोस्ती......


 इश्क़ उगते सूरज की तरह सुर्ख लाल, दोस्ती ढलते शाम का ठहराव।

इश्क़ is candle light dinner, moonlit works, बाहों का सहारा etc etc.... और दोस्ती एक दनदनाती रेस जिसमे एक अगर गिरे तो दूसरा हाथ पकड़ कर उठाता तो है पर उठाने से पहले ताली बजाकर हसता भी जरूर है।

ऐसा ही कुछ कहती थी वो उसके लिए दोस्ती इश्क़ से बढ़कर थी और ना चाहते हुए भी उसकी बातो को agree करता रहता था मै bcoz I'm in love with her... और ये तो पूरी दुनिया को पता है इश्क में conditions नहीं होते। हम बातें करते, चैट के लिए हमने फेसबुक, व्हाटसएप, इंस्टाग्राम कुछ भी नहीं छोड़ा, लेकिन लेकिन अब ये दिल मांगे more, और इसीलिए हमारी ख्वाइश भी बढ़ चली थी अब हम एक दूसरे से मिलने की जिद करने लगे और हमने finally एक अच्छे से रेस्त्रां में dinner का प्लान बनाया।

प्लान तो बन गया पर प्लान बनने के बाद मेरा नर्वसनेस सातवें आसमान पर था। क्या पहनना है कैसे दिखना है आफ्टरऑल ये मेरा पहला एक्सपीरियंस था और मुझे इसका एबीसीडी भी नहीं आता था। फाइनल डेट के एक दिन पहले की शाम को ही मैंने सारे चेक लिस्ट मार्क कर लिए ड्रेस done, वॉच done, शूज done, शेविंग done, अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी थी मैंने रोज़ की तरह वो सुबह भी हुई पर कुछ ज्यादे जल्दी हो गई या यूं कहे कि मै रात सो ही नहीं पाया खैर आज का दिन भी कुछ कम लंबा नहीं था। वक्त निकला और हम तय जगह पर एक दूसरे से मिले ब्लू जींस और येलो टॉप में वो आज एकदम अलग ही लग रही थी नो डाउट उसने भी सारी चेक लिस्ट मार्क कर ली थी और और उसकी आंखो को देखकर लग रहा था कि रात उसके लिए भी कुछ कम लंबी नहीं रही है। Anyways हम रेस्त्रां पहुंचे और मिडिल कि एक खाली टेबल choose कर ली।

एक तो पहली मीटिंग की नरवसनेस ऊपर से रेस्त्रां कि अलग ही डेकोरेटिंग थीम मुझे अन कंफर्टेबल फील कर रही थी।  मेरे लिए इतना सिम्पल भी नहीं था तीन डिफरेंट तरह के ग्लास तीन डिफरेंट तरह के फॉर्कस स्मॉल प्लेट बिग प्लेट हाफ प्लेट क्वार्टर प्लेट whatever प्लेट क्या था ये, i was terrified...


यार खाना खाने आए थे तुम एक ही थाली में प्यार परोसते हम खुश थे कुछ और नहीं चाहिए होता है।

इतने में मैडम ने स्वीटली बोला चलो आज तुम्हारा फेवरेट साउथ इंडियन पनीर डोसा ऑर्डर करते है।.…................................



Anyways टेबल पर लाया गया डोसा और सांभर और साथ में terrified cutlery....(knives and forks)....

 यार भगवान ने दो हाथ क्यों दिए knives और forks के लिए????...

कोई नहीं रेस्त्रां मै सभी जेंटलमैन बैठे थे तो मैंने भी knives और forks उठाया। 

डोसा की गर्दन पर knives रख कर जैसे ही चलाया मुझे एहसास हो गया कि ये डोसा रबर डोसा है जो इतनी आसानी से कटने वाला नहीं है लेकिन अब तक मेरे अंदर का कसाई जाग चुका था वो भूल गया कि यहां सब जेंटलमैन बैठे है मैंने hardly knives उठाया और वो मेरी हाथ से छूट कर उछला और टेबल के मिडिल मै धड़ाम से गिर पड़ा। रेस्त्रां में अचानक सन्नाटा छा गया सब मुझे ही देखने लगे और मै उसे। वो मुझपर खिलखिला कर हंस रही थी I was embarassed... मुझे लगा हो गया हमारे रिश्ते को सत्यानाश.. पर नहीं अगले ही पल वो बिना कुछ बोले अपनी knives और forks टेबल पर रखी और डोसा की एक bite हाथ से तोड़ी सांभर मै डुबोया और मुंह में रखकर हसते हुए बोली अगर cutlery से डोसा खाओगे तो ऐसे ही होगा हाथ से खाओ मेरी तरह😂😂

और अगले ही पल मेरे लिए सब कंफर्टेबल सा हो गया ऐसे लगा जैसे उस रेस्त्रां मै बस हम दो लोग  ही है बाकी सब क्या सोचते है क्या देखते है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था। और उस दिन इश्क़ का तो पता नहीं पर दोस्ती में हमारा रिश्ता 100/100 से पास हो गया ।

उस दिन हम खूब हसे खूब बातें किए मैंने उसे घर ड्रॉप किया उसने लास्ट में एक बात बोली "तुम जैसे हो बहुत अच्छे हो लोगो को देखकर बदलने की कोशिश मत करो लोग तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं है" I accepted just as I was......... इश्क़ में खड़ी प्रोटोकॉल दोस्ती ने बड़ी सादगी से तोड़ दी।

रात के अंधेरे में वो धीरे धीरे अपने घर में जाती हुई मेरी आंखो से ओझल हो रही थी ऐसे लग रहा था कि उगते इश्क़ के सुरखाब में कहीं खो ही रहा था कि दोस्ती के ठहराव ने मानो थाम सा लिया।



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