Skip to main content

अधूरा हमसफर..


ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक उसका जाना पहचाना सा चेहरा स्टेशन पर दिखा। वो अकेली थी। चेहरे पर कुछ परेशानी की रेखाओं के साथ थी वो। कुछ ढूंढती से लग रही थी। मेरा घर जाना जरूरी था। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था। चलती ट्रेन से कूद पड़ा गिर कर संभलते हुए उसके पास उसी के बेंच पर कुछ इंच की दूरी बना कर बैठ गया।

जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते ।

पर उसने ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की और दूरी बना कर चुप चाप बैठी रही। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गई थी। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी वो बिल्कुल वैसी की वैसी ही थी। हां कुछ भारी हो गई थी। मगर इतना ज्यादा भी नही।

फिर उसने अपने पर्स से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गई।

चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। उसके सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही दिखे।

उसने शायद मेरी नजर को भाप कर अपने सर पर साड़ी का पल्लू डाल लिया।

फिर वह अपने मोबाइल में लग गई। मेरी इच्छा जानने की कोशिश भी नही की क्यू मै उसे घुर रहा हूं। उसकी यही बात हमेशा मुझे बुरी लगती थी। फिर भी ना जाने उसमे ऐसा क्या था कि आज तक मैंने उसे नही भुलाया। एक वो थी कि दस सालों में ही भूल गई। मैंने सोचा शायद अभी तक गौर नही किया। पहचान लेगी। थोड़ा मोटा हो गया हूँ। शायद इसलिए नही पहचाना। मैं उदास हो गया।

जिस शख्स को जीवन मे कभी भुला ही नही पाया उसको मेरा चेहरा ही याद नही😔

माना कि वो शादीशुदा है। मैं भी शादीशुदा हुँ जानता था इसके साथ रहना मुश्किल है मग़र इसका मतलब यह तो नही कि अपने खयालो को अपने सपनो को जीना छोड़ दूं।

एक तमन्ना थी कि कुछ पल खुल के उसके साथ गुजारूं। माहौल दोस्ताना ही हो मग़र हो तो सही😔

आज वही शख्स पास बैठी थी जिसे स्कूल टाइम से मैने दिल मे बसा रखा था। सोसल मीडिया पर उसके सारे एकाउंट चोरी छुपे देखा करता था। उसके हर कविता, हर शायरी में खुद को खोजा करता था। वह तो आज पहचान ही नही रही😔

आधे घण्टे से ऊपर हो गया। वो आराम से  मेरे पास बैठी मोबाइल में लगी थी। देखना तो दूर चेहरा भी ऊपर नही किया उसने😔


मैं कभी मोबाइल में देखता कभी उसकी तरफ। सोसल मीडिया पर उसके एकाउंट खोल कर देखे। तस्वीर मिलाई। वही थी। पक्का वही। कोई शक नही था। वैसे भी हम बैंक वाले चेहरा पहचानने में कभी भी धोखा नही खा सकते। 20 साल बाद भी सिर्फ आंखों से पहचान ले☺️

फिर कुछ वक़्त और गुजरा अचानक मेरे फोन पर फोन बजा श्रीमती जी का फोन था ओह मै तो भूल ही गया था मुझे अब तक घर पहुंच जाना चाहिए था। उधर से आवाज आई कहा हो अभी तक.......


मै कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था हकलाता हुआ बोला म.. म... मै छूट गया...  ट.ट.. ट्रेन छूट गया।
फिर फोन काट दिया।

इतने देर बाद उसके चेहरे पर हसी थी मेरी तरफ देख कर हस रही थी वो।
उसकी वही खिलखिलाती हुई हसी जिसके लिए मै अपनी जान भी दे सकता था आज वर्षों बाद दिखीं थी मुझे।

खुद ही बोली वो बिल्कुल वैसे के वैसे ही रह गए अभी तक इतने देर से हो मेरे पास एक शब्द भी नहीं बोले अभी तक मै तुम्हे काट थोड़े लूंगी।

घर आई थी रक्षाबंधन था भाई को राखी बांधने, इनके पास टाइम नहीं था तो अकेले आ गई थी। सुना कि इसी स्टेशन  से रोज गाड़ी पकड़ते हो तुम, तुम्हे देखने की इच्छा थी आगई, कल भी आईं थीं तुमने पहचाना ही नहीं और आज भी असमंजस में थे।
मुझे पता था तुम मुझे भूल जाओगे............................



इतना सब कुछ एक सांस में बोल कर वो आज फिर चली गई। और मै आज फिर आवक, मुक सा उसे निहारता ही रह गया।

आज एकबार फिर ना उसने मुझे सुनने की कोशिश की और ना मै उसे रोकने की कोशिश कर पाया।

Comments

  1. इस पूरी कहानी के लिए दो लाइने मेरी तरफ से....
    वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता..!
    मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता..!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. क्या बात...

      धन्यवाद।

      Delete
    2. बहुत ही सुंदर लिखे है प्रभु
      👍👍👍

      Delete
  2. Kya bat h jija ji kon thi wo .... mujhe bta diye hote m apni di ko bta deti😂😂😂😂😂 kya story like j

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मेरी कहानी का अंत

 कभी किसी को जाने दिया है? जबकि तुमने उसके साथ अपनी Best जिंदगी देख ली थी l उसके बाद तुम नॉर्मल नहीं हो पाते कभी उन यादों को हमेशा साथ लेकर चलते हो और शांत हो जाते हो काफी l खुद को खुश करने की कोशिश करते हो पर सच बताना खुश हो पाते हो कभी ? तुम जाने तो देते हो उसको पर तुममें से वो क्या जाता है कभी ? खैर छोड़ो पता नहीं तुम समझ पाओगे भी या नहीं l आज इन सब बातों का जवाब देने से पहले कुछ बातें जान तो लें l हम मिले हममें बातें हुई बातें बढ़ी और और बातें होते होते तुम्हीं ने मुझे सामने से Proposal दिया मैने Accept किया l और फिर हम बहुत सीरियस हो गए l शहर में एक साथ घूमते घूमते सारा जहां एक साथ घुमाने की बातें सोचने लगे l और तुम, तुम पागल तो कभी कभी shoping भी ऐसे कर लेती थी कि अगली बार जब हम मनाली जाएंगे तो ये वाला Top पहनूंगी l हम कभी आसमान में तारे जितनी बातें करते थे l कुछ भी मिस नहीं होता था हमारे बीच हम वाकिफ हो गए थे एक दूसरे की आदतों से l आपकी Life में बहुत लोग आते है पर वो होता है ना एक person जिसके प्रेजेंस से आपको लगता है अब बेहतर सांस आ रही है ये ही मेरा ऑक्सीजन है l same वही ...

मेरा झूठ

वो अक्सर अपनी हथेली मेरे हाथों में थामे रखती , हम हथेलियों की तस्वीरे लिया करते। हम सड़क बिना हाथ पकड़े कभी पार ही नहीं हो पाते , हम शामें अक्सर बेंच पर अग़ल बग़ल ही बैठते , कभी कभी घर से उसके लिये कुछ स्पेशल बना के डब्बा भी ले ज़ाया करता , थोड़ा स्पेशल दिखाने के लिए पैकिंग भी ढंग से करता ताकि उसे अच्छा लगे और वो ख़ुस हो जाए । कभी बाहर जाते तो healthy बोल के कभी मोमोस कभी गोलगप्पे कभी सोया चाप सब खाना होता ओह सॉरी…. इनमें से बस unhealthy वाला मुझे खाना होता और मैं बिना नख़रे के सब ख़त्म कर जाता । मक़सद मेरा बस इतना होता कि मुझे ये सब खाते हुए देख कर वो खूब ख़ुस होती । फिर एक दो ना पूरे होने वाले वादे कर देती । हम अक्सर अजीबो गरीब तस्वीरे लिया करते थे पर …. पर इन तस्वीरों में भी वो ही सुंदर दिखती क्यों की जिसमें वो सुंदर नहीं दिखती वो डिलीट हो जाती । हम शॉपिंग माल्स अक्सर वाशरूम use करने ज़ाया करते । शॉपिंग तो लोकल मार्केट से करते और वहाँ भी उसके लिए बार्गेनिंग अक्सर किया करते । कभी कभी किसी शॉपिंग माल्स के चेजिंग रूम से 4-5 कपड़े ट्राय करने के बाद मुझसे पूछती कैसे लग रही हूँ । और मैं क...

मेरी दास्तान …

 तो,  तुम्हारे लिए अब लिखना नहीं है मुझे , तुम्हारे नाम तक के साथ अब दिखना नहीं है मुझे । जितना आम होके मैं तुम्हें मिला था ना .. उतना आसानी से इश्क़ में अब बिकना नहीं है मुझे । पर मैं मेरी दास्तान लिखूँगा , इस बार ख़ुद को मोहब्बत और तुम्हें अनजान लिखूँगा । तुम्हें सँवारते सँवारते जो हाल हुआ है , मैं हो जाऊँगा आबाद भी पर पहले बरबाद लिखूँगा । इतना इश्क़ कर दिया था तुझसे मैंने कि ख़ुद में ख़ाली हो गया था , इतना मोहब्बत जुनून सुकून था मुझमें कि जब तक बिछड़ा मेरा रूह तक काला हो गया था । इतना कैसे मार दिया तुमने किसी को मोहब्बत में ,  इतना बुरी तरह कैसे हार दिया मैंने ख़ुद को मोहब्बत में , ख़ुद को एक घंटे भी नहीं दिए मैंने ,  तुम्हारे लिए तुम्हें सोमवार से इतवार दिया मैंने मोहब्बत में । खैर जाओ तुम, खैर जाओ अब तुम , जाओ तुम्हारे रुकने का वक्त अब खत्म हो गया है , जो खरोंच लगा लगा कर गया था कोई, तुमने ऐसे छुवा है की जख्म हो गया है । तुमने जाते जाते जलाया है एक एक कतरा मोहब्बत का , वापस आने की जरूरत नही है  यादें जला दी है मैंने , अब सब भस्म हो गया है ।