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एक सफ़र अनजाना सा -१

आज फिर एक बार भटक जाने दे यार,
मुसाफिर हूँ, भटकना आदत में शुमार,

लो आज फिर मै निकल पड़ा हूं अपनी यायवरी को आगे बढ़ाने एक अनजान से सफर पर जिसका रास्ता न मुझे पता है न मेरे साथ चल रहे इन तीनों बेचारो को।

हुआ भी इस तरह की जब ओखल में सर दिया तो मुसलों से क्या डरना। पिछले एक हफ्ते से मणि बाबा ने नाक में दम कर रखा था कि यार कहीं घूमने चलो कही घूमने चलो इस बार इनके साथ हमारे अभिन्न मित्र झम्मनलाल भी सुर में सुर मिलाए हुए थे और तो और इन्होंने इस बार 15दिनों की अग्रिम अवकाश भी स्वीकृत करा ली थी। अब घूमने की जगह और एक और पार्टनर का जुगाड मुझे करना था। रही बात गाड़ी की तो मित्र झम्मनलाळ इस बार अपनी स्विफ्ट कार ले चलने को राजी थे। हमारे मित्र झम्मन लाल के बारे में एक बात प्रसिद्ध है कि ये सबसे ज्यादे प्रेम 2को करते है एक उनकी पत्नी जिनके आदेश के बिना शायद ये पानी नहीं पीते और दूसरी उनकी कार स्विफ्ट। और इस बार ये दोनों बाते उल्टी हो रही थी मेरे आश्चर्य का ठीकाना नहीं था मुझे तो सब सपने जैसा लग रहा था कि झम्मन लाल को हो क्या गया है। खैर सब कुछ भोलेनाथ पर छोड़कर मै अपने दैनिक कार्य पर लग गया था क्योंकि मुझे पता था कि मेरी छुट्टी इतनी जल्दी स्वीकृत होने वाली नहीं है और न ही मुझे अब घर से घूमने की इजाजत मिलेगी। फिलहाल जब 3दिन बाकी रह गया अर्थात 2जुलाई को मैंने मजनू भाई को फोन किया और उन्हें भी उल्टे सीधे जगहों के सपने दिखा कर राजी कर लिया। और अपनी छुट्टी के बारे में सोच लिया कि जिस दिन निकलना है उसी दिन बीमारी का बहाना बनाकर मेडिकल लगा दूंगा।अब सारे जुगाड मूर्त रूप लेने लगे थे 4जुलाई को मजनू भाई हमारे घर अपना बैग पैक कर आ गए कल 5जुलाई को सुबह 5बजे  हम चार यायावरो का निकलना पक्का हो गया। मैंने भी आज से ही टायफायड बुखार का बहाना बना दिया था और टायफायड बुखार कम से कम एक हफ्ते तो रहेगा ही, तो मेरी भी लगभग एक हप्ते की छुट्टी कन्फर्म ही लग रही थी। मजनू भाई के पास बजट थोड़ा क्या बहुत ही गड़बड़ था उनके पास मात्र 2500 रुपए थे खैर रास्ते से फोन पर पैसे मांगने का उनके पास अच्छा अच्छा बहाना वाला विचार था तो टेंशन थोड़ी कम थी। अब रात के 9बज रहे थे और हमने सोचा कि चलो झम्मनलाल के कार का थोड़ा ट्रायल कर लिया जाय।

                 कार निकाल ली गई रोड पर लाया गया और अब एक नंबर gear से दो नंबर gear में आ गई ये दोनों gear कुछ जाम लग रहे थे मैंने मजनू भाई से कहा मित्र जरा gear देखना कुछ जाम लग रहा है मित्र ने मित्र की बात कुछ ज्यादा सीरियस ले लिया और एक जोर का झटका 2नंबर से 1नंबर की ओर दे दिया लो पड़ गए ना अब सर मुड़ाते ही ओले।
Gear वायर एक झटके के साथ टूट गया।

हमारे प्यारे मित्र झम्मन लाल की प्यारी कार वहीं की वहीं रात 9:30pm पर खड़ी हो गई थी।
अब तो मेरा टायफायड कन्फर्म हो चुका था। मजनू भाई 7दिन के लिए शहर से बाहर निकल चुके थे। मणि बाबा फोटोशूट हेतु 3नई टीशर्ट और 3नई जीन्स ले चुके थे।

लेकिन अभी हमारा 7:30घंटे बाद आधा भारत इसी कार से देखना बाकी था।

एक अनजाना सा सफ़र -२ का लिंक👉
एक सफ़र अनजाना सा -२ @MIUI| https://ratneshpandey0727.blogspot.com/2019/08/blog-post_44.html?m=1

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