कई दिनों से घुम्मकड़ कीड़ा दिमाग में घूम रहा था क्योंकि घूमने से बहुत सारे प्लान इस बीच समयाभाव के कारण कट चुके थे । घर पे निर्माण कार्य की वजह से मित्रो को मै पशुपति नाथ यात्रा के लिए मना कर चुका था। ३१मार्च की सुबह ७:०० बजे मोबाइल पर मणि जी का संदेश देखकर पता चला कि मेरी वजह से सारे मित्र अपनी पशुपति नाथ की यात्रा निरस्त कर दिए थे। मन दुखी हो गया । पिछली २ दिन की छुट्टी भी घर पे बीता दी थी आज कार्यालय भी जाना था और मन में बेहद अफसोस था कि मेरी वजह से सारे मित्र यात्रा निरस्त कर दिए थे। फोन उठाया और मणि जी को फोन लगाया और बिना कुछ सोचे कह दिया कि चलिए बाबा धाम (श्री बैजनाथ धाम) चला जाए उन्होंने कहा कि अब तो सारी छुट्टी खत्म हो गई अब कैसे, मैंने कहा कि कल रविवार है आज का मै देखता हूं १२:०० बजे तक आपसे मिलता हूं तैयार रहिए। समय तो वास्तव में कम था २अप्रैल को किसी भी हाल में सबको कार्यालय जाना पड़ेगा आज का आधा दिन गुजर चुका है, सफर गोरखपुर से देवघर गूगल बाबा से पूछने पर पता चला कि १२:०० घंटे कम से कम। ११:०० बजे अपने घर से निकला सहजनवा पहुंचते ही पता चला की मित्र अभिषेक अपनी कार लेकर एक गढढे में पलटे पड़े है हमारी यात्रा के एक भाग है ये और अब तो उनके पास जाना बहुत जरूरी है ,चले उन्हें हल्की चोट आई थी भगवान की कृपा से... .....
सायं ३:३० गोरखपुर में ही हो गया मित्र अभिषेक जो हमारे वाहन चालक भी थे उनका जाना अब मुश्किल भी है बाकी ४ लोगो में से ३को वाहन चलाने नहीं आता और २अप्रैल को ९:०० प्रातः गोरखपुर आना भी है।
"एक मै अकेला चालक १२००km की यात्रा २८ घंटे का कुल समय शेष"
खैर महादेवका नाम लेकर यात्रा शुरू हुई गोरखपुर से बेगूसराय तक पता ही नहीं चला और अब रात के १२:०० बज चुके है अब रास्ते पतले हो गए और रोडकिंग ट्रक महाराज रोड पे ही जाम लगाए खड़े हो गए। अब काम शुरू हुआ हमारे ग्रुप में ट्रैफिक दरोगा के नाम से मशहूर श्री मिश्रा जी का वो गाड़ी से उतर उतर के ट्रकों को साइड कराते और हम गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ाते............. जमुई पहुंचते पहुंचते सुबह के ५:००बज गए... अब रास्ते ठीक हो गए... और प्राकृतिक दृश्य मन मोहने लगे। श्री विनय बाबू को सेल्फी का कीड़ा काटने लगा । गाड़ी रुकी सब लोग उतरे विनय बाबू का कीड़ा शांत कराए फिर झारखंड में यात्रा शुरू हुई......... अब पता चला कि मनोरम दृश्यों की तो अभी शुरुआत थी सबके मन में अपने कैमरे की कला दिखाने की उत्सुकता जग रही है थी वो भी किए।। बाबा की नगरी में ६:३० पर पहुंचे एक सस्ते विश्रामालय की तलाश हुई ६००में चारो लोगो के लिए एक बड़ा कमरा मिला ।नहा धो के चले बाबा के दरबार पहुंचते ही पंडा जी ने पकड़ लिया और शुरू हो गए .......- यहां दर्शन हेतु एक vip सुविधा है और एक जनरल -
हम ठहरे शुद्ध गोरखपुरी लग लिए जनरल सुविधा में ९:००बज गए...... १०:००बज गए .... अब पता चला प्रभो ऐसे ही दर्शन नहीं देते लाइन में थोड़ी दूरी जाने के बाद लगा की vip दर्शन ही सही था २५१की रसीद लो और सीधे बाबा के पास पहुंच जाओ। पर अब पीछे मुड़ने पर पीछे की भीड़ भी भर गई थी । हमने थकान और कम समय को देखते हुए हमने vip सुविधा का लाभ लेने का मन बनाया। वापस निकले मणि जी भीड़ से निकलने में एक्सपर्ट हम उनके पीछे लग लिए हम और विनय बाबू तो निकल जा रहे थे पर हमारे मिश्रा जी अपनी साइज की वजह से फस जाते थे । आधे घंटे में जहां से शुरुआत हुई वहां पहुंच गए ।
पास लिए और बाबा के दर्शन किए मन आनंदित हो गया जीवन धन्य हो गया पर मैं में एक अफसोस रह गया कि दर्शन हेतु सरल मार्ग अपनाया। मां पार्वती के दर्शन के बाद १२:०० बजे बाहर निकले और अब नाश्ते का समय था नाश्ता किए और पहुंचे होटल आराम के लिए।
जैसे ही लेटे सस्ते होटल का मतलब पता चला बिजली चली गई और पंखे बंद आंख लगी ही थी अभी।
आधे घण्टे का समय भी किसी तरह बिताया ।
आराम तो मिलने से रहा तो सोचा इससे अच्छा वासुकीनाथ जी चलते है चेकआउट किए और निकल लिए... रास्ते और मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हुए पहुंच गए बाबा बासुकीनाथ के धाम ।
यहां दर्शन सुगम है । आसानी से दर्शन हुए ।
अब आगए वापसी की ओर................................
ѕρєє¢нℓєѕѕ
ReplyDeletethanks
ReplyDelete