वो अक्सर अपनी हथेली मेरे हाथों में थामे रखती , हम हथेलियों की तस्वीरे लिया करते। हम सड़क बिना हाथ पकड़े कभी पार ही नहीं हो पाते , हम शामें अक्सर बेंच पर अग़ल बग़ल ही बैठते , कभी कभी घर से उसके लिये कुछ स्पेशल बना के डब्बा भी ले ज़ाया करता , थोड़ा स्पेशल दिखाने के लिए पैकिंग भी ढंग से करता ताकि उसे अच्छा लगे और वो ख़ुस हो जाए । कभी बाहर जाते तो healthy बोल के कभी मोमोस कभी गोलगप्पे कभी सोया चाप सब खाना होता ओह सॉरी…. इनमें से बस unhealthy वाला मुझे खाना होता और मैं बिना नख़रे के सब ख़त्म कर जाता । मक़सद मेरा बस इतना होता कि मुझे ये सब खाते हुए देख कर वो खूब ख़ुस होती । फिर एक दो ना पूरे होने वाले वादे कर देती । हम अक्सर अजीबो गरीब तस्वीरे लिया करते थे पर …. पर इन तस्वीरों में भी वो ही सुंदर दिखती क्यों की जिसमें वो सुंदर नहीं दिखती वो डिलीट हो जाती । हम शॉपिंग माल्स अक्सर वाशरूम use करने ज़ाया करते । शॉपिंग तो लोकल मार्केट से करते और वहाँ भी उसके लिए बार्गेनिंग अक्सर किया करते । कभी कभी किसी शॉपिंग माल्स के चेजिंग रूम से 4-5 कपड़े ट्राय करने के बाद मुझसे पूछती कैसे लग रही हूँ । और मैं क
मुझे आज भी याद है वो हमारी पहली मुलाकात, वो भी एक शाम थी, जब उस ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी आँखों में आँखें डालकर, पूरे भरोसे के साथ कहा "तुम्हारे हाथ बेहद गरम हैं, और यह वफ़ा निभाने वालों की निशानी है"। मैं बहुत ख़ुश था। इतना ख़ुश कि सब कुछ भूल गया, मैं दुनिया भूल गया ज़माना भूल गया, किस्सा, कहानी और फसाना भूल गया मैं ग़म भूल गया मैं अक्स भूल गया मैं दौर को भूलते हुए हर शख्स को भूल गया और और यह भी भूल गया कि उस शाम तुम्हारे हाथ कितने सर्द थे।☺️