तो, तुम्हारे लिए अब लिखना नहीं है मुझे , तुम्हारे नाम तक के साथ अब दिखना नहीं है मुझे । जितना आम होके मैं तुम्हें मिला था ना .. उतना आसानी से इश्क़ में अब बिकना नहीं है मुझे । पर मैं मेरी दास्तान लिखूँगा , इस बार ख़ुद को मोहब्बत और तुम्हें अनजान लिखूँगा । तुम्हें सँवारते सँवारते जो हाल हुआ है , मैं हो जाऊँगा आबाद भी पर पहले बरबाद लिखूँगा । इतना इश्क़ कर दिया था तुझसे मैंने कि ख़ुद में ख़ाली हो गया था , इतना मोहब्बत जुनून सुकून था मुझमें कि जब तक बिछड़ा मेरा रूह तक काला हो गया था । इतना कैसे मार दिया तुमने किसी को मोहब्बत में , इतना बुरी तरह कैसे हार दिया मैंने ख़ुद को मोहब्बत में , ख़ुद को एक घंटे भी नहीं दिए मैंने , तुम्हारे लिए तुम्हें सोमवार से इतवार दिया मैंने मोहब्बत में । खैर जाओ तुम, खैर जाओ अब तुम , जाओ तुम्हारे रुकने का वक्त अब खत्म हो गया है , जो खरोंच लगा लगा कर गया था कोई, तुमने ऐसे छुवा है की जख्म हो गया है । तुमने जाते जाते जलाया है एक एक कतरा मोहब्बत का , वापस आने की जरूरत नही है यादें जला दी है मैंने , अब सब भस्म हो गया है ।
"एक दिन तुम्हें सब याद आएगा..." एक दिन तुम्हें वो सारे पल याद आएँगे जब मैं तुमसे बात करने की कोशिश करता रहा, और तुमने मेरी एक न सुनी। तुम्हें याद आएगा जब मैंने बार-बार कहा कि तुम्हारा रवैया मुझे तकलीफ देता है, लेकिन तुमने अनदेखा किया। तुम्हें वो भी याद आएगा जब मैंने तुम्हें बताया कि तुम मुझे खो रहे हो, पर तुमने यकीन नहीं किया। तुम्हें वो सारे अच्छे पल याद आएँगे जो मैंने तुम्हारे लिए जिए, और तुमने कभी उनकी कद्र नहीं की। तुम्हें वो भी याद आएगा जब मैंने हमारी रिश्ते को बचाने के लिए खुद को पीछे खींचा, यहाँ तक कि तब भी जब गलती तुम्हारी थी। तुम्हें याद आएगा मेरा प्यार, मेरे चूमने का अंदाज़, मेरी छूने की नरमी, मेरी हँसी, मेरी छोटी-छोटी बातें, मेरी नज़रों की गहराई, तुम्हारी देखभाल करने का मेरा तरीका, और वो पल जब मैंने तुम्हारा चेहरा छूते हुए कहा था — "मैं तुमसे प्यार करता हूँ।" तुम्हें मेरी नादानियाँ याद आएँगी, मेरी ज़िद, और वो बातें जिन्हें तुमने मेरी "टॉक्सिसिटी" कहा था—सिर्फ इसलिए कि मैं तुम्हारी गलतियों को स्वीकार नहीं कर पाता था। मैंने तुम्हें अपनी ज़िन्दगी ...